सुनील देवधर
प्रशिक्षण वर्ग की संकल्पना और भविष्य की योजना अपने देश के शैक्षणिक, प्रसिद्धि माध्यम (मीडिया), राजनेता और प्रभावशाली विद्वानों का एक बड़ा हिस्सा भारतीय राष्ट्रवाद की संकल्पना के विरुद्ध व्यवसायिक तौर पर एक जहरीला अभियान चला रहे हैं । यह एक (संगठित रूप में) विदेशी शक्तियों का गठबंधन है जिसमें अनेक घनघोर साम्यवादी , इस्लामी मूलतत्ववादी तथा कुछ अंतरराष्ट्रीय एनजीओ के सदस्य शामिल हैं । यह गठबंधन भारत और इसकी गरिमा को ध्वस्त करने का हर संभव प्रयास करता रहा है । ये ताकतें भारत को तोड़ने की साजिशों को रचते हुए समाज को तोड़ने का भरसक प्रयत्न कर रही हैं । झूठ उनकी योजना है और इसी के आधार पर वे दलितों , महिलाओं और युवाओं को भड़काते हैं , जिससे कि हिंदू समाज टूट कर कमजोर हो जाये । इस आंदोलन को भारत के 30 विश्वविद्यालयों में एक साथ चलाया जा रहा है । भारत के विभिन्न चैनलों का जमावड़ा करके पूर्व नियोजित , लिखी हुई पटकथा द्वारा नये नये नाटक खेले जाते हैं जिससे समाज में फूट डाली जाती है । राष्ट्र विरोधी नारे , आत्महत्या के लिये उकसाना और मनगढंत कहानियों द्वारा दलितो , महिलाओं तथा युवाओं के मन में भ्रम पैदा करना , यही इस आदोलन का उद्देश्य है । हमारी युवा शक्ति का एक हिस्सा इस षडयंत्र का शिकार बन सकता है क्योंकि इसमें पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है । इस भयावह षडयंत्र का जवाब देना हर देशभक्त की जिम्मेदारी बनती है । इन विध्वंसी भयावह राष्ट्रविरोधी शक्तियों को परास्त करने के लिये आज समाज इनके खिलाफ देशभक्तिपूर्ण बौद्धिक प्रतिवाद की प्रतीक्षा कर रहा है । आज अपने शहरों और गांवों में युवाओं की एक ऐसी फौज तैयार करनी पड़ेगी जिनकी हमारे अध्यात्म , हमारी संस्कृति और हमारे राष्ट्रवाद में मजबूत जड़ें हों और साथ - साथ उनमें हमारे प्रतिद्वंदियों की विचारधारा समझने का जज्बा भी हो ।
इसलिये हमने निम्नलिखित तरीकों से इस देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों के युवा - युवतियों को प्रशिक्षण देने की योजना बनायी है
1. विशेषज्ञों के द्वारा संचालित प्रशिक्षण वर्ग का आयोजन जिसमें करीब 300 युवक - युवती शामिल हों
2.राष्ट्रवादी साहित्य का विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों में वितरण करना ।
3. राष्ट्र विरोधी ताकतों के विरुद्ध सोशल मीडिया प्रिंट मीडिया समाचार पत्र और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर राष्ट्रवादी युवक - युवतियों की प्रभावशाली संगठित शक्ति का निर्माण करना ।
4.प्रशिक्षित युवक - युवतियों के निरंतर संपर्क में रहना ।
5. प्रशिक्षित यवक - युवतियों को नये युवाओं को जोड़ने के लिये प्रोत्साहित करना ताकि वर्ग में सीखे हुए राष्ट्रवादी विचारों का चौतरफा प्रचार - प्रसार हो
6. इस प्रकार के प्रशिक्षण वर्ग को अगले एक साल के भीतर भारत के हर जिले तक पहचाना है, खासकर ग्रामीण इलाको मे पेड़ो के निचे या मन्दिरो मे देश के वंचित या उपेक्षित कक्षाएं चलाई जाएंगी।